इस लेख मे क्या वाल्मीकि रामायण 2.110.3 और वाल्मीकि रामायण 2.110.4 अनुसार वराह अवतार भी ब्रह्माने लिया था?
कुछ विधर्मी और वेद विरुद्ध दयानन्द समाजी (दयानंद सरस्वती को मानने वाला) दावा करते हैं कि वराह अवतार भगवान विष्णु ने नहीं बल्कि ब्रह्मा जी ने लिया था वाल्मीकि रामायण का श्लोक दिखाते हुए यह दावा करते हैं, आईए इसका समीक्षा करते हैं
वाल्मीकि रामायण 2.110.3-4 का श्लोक और अर्थ इस तरह है:
वाल्मीकि रामायण 2.110.3
सर्व॑ सलिलमेवासीत् पृथिवी तत्र निर्मिता।
त्ततः समभवद् ब्रह्मा स्वयंभूर्दैवतैः सह॥ ३॥
सृष्टिके प्रारम्भकालमें सब कुछ जलमय ही था। उस जलके भीतर ही पृथ्वीका निर्माण हुआ। तदनन्तर देवताओंके साथ स्वयंभू ब्रह्मा प्रकट हुए॥ ३॥
वाल्मीकि रामायण 2.110.4
स वराहस्ततो भूत्वा प्रोज्जहार वसुंधराम्। असृजच्च जगत् सर्वं सह पुत्रैः कृतात्मभिः॥ ४॥
इसके बाद उन भगवान् विष्णुस्वरूप ब्रह्माने ही वराहरूपसे प्रकट होकर जलके भीतरसे इस पृथ्वीको निकाला और अपने कृतात्मा पुत्रोंके साथ इस सम्पूर्ण जगतूकी सृष्टि की॥४॥
-●- यहां पर दयानन्द समाजी का दावा है कि भगवान वराह ब्रह्मा जी के अवतार हैं
-●- दयानन्द समाजी पूर्व काल में अंग्रेजों के चमचे रहे हैं, और आज भी वही है
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वाल्मीकि रामायण 2.110.3-4 समीक्षा
पूर्व कल्प बीत जाने पर नहीं कल्प का समय आने पर सृष्टि प्रारंभ: वाल्मीकि रामायण के इस श्लोक में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि सृष्टि के प्रारंभ में सब कुछ जलमय था, और पृथ्वी का निर्माण जल के भीतर हुआ था। इसके बाद, देवताओं के साथ स्वयंभू ब्रह्मा प्रकट हुए। ब्रह्मा ने वराह रूप धारण करके पृथ्वी को जल से निकाला और अपने पुत्रों के साथ सम्पूर्ण जगत की सृष्टि की।
अब, इस श्लोक की समीक्षा करते हुए, हम दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे—
- वराह अवतार का उल्लेख–
- श्लोक में कहा गया है कि ब्रह्मा ने वराह रूप धारण किया और पृथ्वी को जल से निकाला। पूर्व कल्प में वराह रूप का उल्लेख है, जो कि श्री हरि नारायण भगवान विष्णु के वराह अवतार का प्रतीक है। हिंदू धर्म में वराह अवतार को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष के चंगुल से बचाने के लिए जल में डूबे हुए पृथ्वी को उठाकर लाए थे।
- ब्रह्मा और विष्णु के संबंध–
- श्लोक में ब्रह्मा को वराह रूप धारण करते हुए दर्शाया गया है, लेकिन हिंदू धर्म के पुराणों और विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह कार्य भगवान विष्णु ने किया था। ब्रह्मा और विष्णु के बीच का अंतर यह है कि ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, जबकि विष्णु पालनकर्ता हैं। विष्णु ने वराह अवतार लिया था, न कि ब्रह्मा ने।
इस प्रकार, इस श्लोक का यह अर्थ है कि भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण करके पृथ्वी को जल से निकाला। इसे ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि ब्रह्मा ने वराह अवतार नहीं लिया, बल्कि यह भगवान विष्णु का ही कार्य था।
इस समीक्षा से यह साबित होता है कि भगवान विष्णु का वराह अवतार हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सत्य है, जबकि ब्रह्मा ने ऐसा कोई अवतार नहीं लिया।
FAQ – भगवान विष्णु का वराह अवतार और ब्रह्मा का संबंध
बाल्मीकि रामायण में वराह अवतार का क्या उल्लेख है?
बाल्मीकि रामायण के श्लोक में वर्णित है कि नए कल्प में सृष्टि के पुनः प्रारंभ में सब कुछ जलमय था और ब्रह्मा ने वराह रूप धारण कर पृथ्वी को जल से निकाला।
वराह अवतार कौन थे?
वराह अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिन्होंने पूर्व कल्प मे पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष के चंगुल से बचाने के लिए वराह का रूप धारण किया था।
क्या ब्रह्मा ने वराह अवतार लिया था?
नहीं, ब्रह्मा ने वराह अवतार नहीं लिया था। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह भगवान विष्णु का अवतार था।
क्या वाल्मीकि रामायण के श्लोक में ब्रह्मा और विष्णु का मिश्रण है?
बाल्मीकि रामायण के श्लोक में वराह रूप का उल्लेख है, जो भगवान विष्णु का प्रतीक है, कल्प की शुरुआत में पुनः पृथ्वी निर्माण जल के भीतर किया उन भगवान् विष्णुस्वरूप ब्रह्माने ही वराहरूपसे प्रकट होकर जलके भीतरसे इस पृथ्वीको निकाला